Sunday, February 20, 2011

साधो ये मुरदों का गांव / कबीर - Saheb Kabir


साधो ये मुरदों का गांव


पीर मरे पैगम्बर मरिहैं


मरि हैं जिन्दा जोगी


राजा मरिहैं परजा मरिहै


मरिहैं बैद और रोगी


चंदा मरिहै सूरज मरिहै


मरिहैं धरणि आकासा


चौदां भुवन के चौधरी मरिहैं


इन्हूं की का आसा


नौहूं मरिहैं दसहूं मरिहैं


मरि हैं सहज अठ्ठासी


तैंतीस कोट देवता मरि हैं


बड़ी काल की बाजी


नाम अनाम अनंत रहत है


दूजा तत्व न होइ


कहत कबीर सुनो भाई साधो


भटक मरो ना कोई

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