Sunday, February 20, 2011

अंखियां तो छाई परी / कबीर - Saheb Kabir


अंखियां तो छाई परी


पंथ निहारि निहारि


जीहड़ियां छाला परया


नाम पुकारि पुकारि


बिरह कमन्डल कर लिये


बैरागी दो नैन


मांगे दरस मधुकरी


छकै रहै दिन रैन


सब रंग तांति रबाब तन


बिरह बजावै नित


और न कोइ सुनि सकै


कै सांई के चित

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